यकृत के कार्य Liver Function  

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यकृत Liver शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण कार्य करता है। यदि किसी व्यक्ति के शरीर में से यकृत Liver को निकाल दिया जाये तो 25 घंटे के अंदर-अंदर ही उसकी मृत्यु हो जाती है।  

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पित्त रस का निर्माण 

यकृत का मुख्य कार्य पित्त-रस पाचन-क्रिया में विशेष रूप से सहायक होता है। यकृत में प्रतदिन 500 से 700 मिली पित्त-रस बनता है जो पित्ताशय में संचित हो जाता है।   

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शर्करा को संचित करना 

यकृत रक्त-शर्करा का सन्तुलन बनाये रखने में सहायता करता है। यह पाचन-क्रिया के फलस्वरूप बनी शर्करा की आवश्यकता से अधिक मात्रा को ग्लाइकोजन में परिवर्तित कर अपने भीतर संचित कर लेता है। तथा आवश्यकता पड़ने पर पुनः शर्करा में परवर्तित कर रक्त में प्रवाहित कर देता है।

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पौष्टिक तत्वों को संचित करना 

यकृत का एक अन्य कार्य लोहा, तांबा तथा अनेक पोषक तत्वों को संचित रखता है।

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हानिकारक जीवाणुओ को नष्ट करना 

यकृत रक्त की को कोशिकाएँ अनेक जीवाणुओ को नष्ट कर देती है।

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मृत लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करना 

यकृत रक्त में उपस्थित मृत लाल रक्त-कोशिकाओं को नष्ट करता रहता है।

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फाइब्रिनोजन का निर्माण 

यह फाइब्रिनोजन नामक प्रोटीन का निर्माण करता है, जो रक्त के जमने में सहायता करती है।

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हिपेरिन का निर्माण 

हिपेरिन बनाता है, जो रक्त को जमने से रोकती है। 

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नाइट्रोजन युक्त हानिकारक पदार्थो को दूर करना 

आवश्यकता से अधिक ऐमिनो अम्लों के विखण्डन के फलस्वरूप यूरिया तथा शर्करा बनते है। यूरिया गुदो के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है। 

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रक्त के आयतन में वृद्धि करना 

यकृत अस्थायी रूप से जल को संचित कर रक्त को तनु अथवा जलयुक्त करता रहता है।

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पाचन क्रिया में सक्रीय सहयोग 

यकृयकृत पित्त-रस का निर्माण करता है, जो वसा के पाचन में सहायता करता है तथा भोजन की अम्लीयता को प्रभावहीन कर उसे क्षारीय बनाता है। त अस्थायी रूप से जल को संचित कर रक्त को तनु अथवा जलयुक्त करता रहता है।

मानव पाचन तंत्र