रेबीज के लक्षण कारण और बचने के उपाय-Symptoms Causes And Prevention Of Rabies

रेबीज या हाइड्रोफोबिया (Rabies or Hydrophobia) नामक रोग एक अति भयंकर एवं घातक रोग है। इस रोग के हो जाने के बाद इसका अभी तक कोई सफल उपचार नहीं है। यदि रोगी पशु के काटने के तुरंत बाद ही एंटीरेबीज इंजेक्शन लगवा लिया जाए तो रोग से बचा जा सकता है। एक बार प्रबल हो जाने के बाद रोगी को बचा पाना प्राय असम्भव है। इस लेख मे रेबीज के लक्षण होने के कारण और बचने के उपाय के बारे मे विस्तार से बताया गया है।

रेबीज रोग होने के कारण (Due To Rabies In Hindi)

रेबीज नामक रोग भी एक विशिष्ट जीवाणु के शरीर में प्रविष्ट होने के परिणामस्वरूप होता है। इस रोग के विषाणु को न्यूरोरिहाइसिटीज हाइड्रोफोबी (Neurorihycetes Hydrophobiay) कहते है। यह रोग रोगग्रस्त पशु के काटने के परिणामस्वरूप होता है। सामान्य रूप से कुत्ते, गीदड़, लोमड़ी, तथा बंदर आदि पशुओ को यह रोग हुवा करता है। चमगादड़ भी इस रोग के शिकार हुवा करते है।

रोगग्रस्त पशु की लार में रेबीज के विषाणु रहते है। अतः जब कोई रेबीज युक्त पशु किसी व्यक्ति को काटता है तब उसकी लार में विद्दमान विषाणु व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाते है। शरीर में प्रवेश करने जे उपरान्त ये विषाणु व्यक्ति की स्नायु तंत्रिकाओं  माध्यम से शरीर में फैलने लगते है। रोग विषाणु जब मस्तिष्क में पहुंच जाते है | तब रोग प्रबल रूप धारण कर लेता है। तथा रोग के समस्त लक्षण प्रकट होने लगते है।

रेबीजयुक्त कुत्ते की पहचान (Identification Of Dog With Rabies in Hindi)

हम जानते है की हमारे देश में रेबीज का संक्रमण मुख्य रूप से कुत्तो के ही माध्यम से होता है। अतः रेबीजयुक्त कुत्ते की पहचान करने अति आवश्यक है। एक प्रकार के रेबीज युक्त कुत्ते शान्त एवं सुस्त से बैठे रहते है। रोगी कुत्ते की पूछ प्रायः सीधी हो जाती है। उसके मुँह से झाग से निकलते रहते है, आँखों लाल हो जाती है तथा चेहरा असामन्य रूप से भयानक सा दिखाई देने लगता है। ये कुत्ते खाना-पीना भी बंद कर देते है। ये कुत्ते अकारण ही किसी भी व्यक्ति को काट सकते है।

दूसरे प्रकार के रेबीज ग्रस्त कुत्ते अधिक आक्रामक होते है। वे अकारण ही भौंकते रहते है। तथा जहाँ-तहाँ भागते रहते है।ये रोगी कुत्ते अकारण ही किसी भी व्यक्ति अथवा पशु को काट लेते है। अन्य समस्त लक्षण प्रथम प्रकार के रोगी कुत्तो के ही सामान होते है। रेबीज के शिकार कुत्ते का जीवन बहुत कम होता है। सामान्य रूप से रोग लक्षण उतपन्न होने के उपरान्त 8-10 दिन के अंदर ही ये कुत्ते अपने आप ही मर जाते है।

रोग की उदभवन अवधि (Disease Incubation Period)

रेबीज नामक रोग की उदभवन अवधि कुछ दिन यानि 4-6 दिन से लेकर कुछ वर्ष यानि 4-6 वर्ष तक भी हो सकती है। कुछ व्यक्तियों के विषय में यह काल 10 वर्ष तक भी देखा जा चूका है। वैसे यह सत्य है की मस्तिष्क से जितना निकट का अंग कुत्ते के द्वारा काटा गया हो उतना ही शीघ्र यह रोग प्रकट होने की आशंका रहती है। क्योकि रोग के लक्षण तभी प्रकट होते है जब रोग विषाणु व्यक्ति के मस्तिष्क में पहुंचकर सक्रिय होते है।

रेबीज के लक्षण (Symptoms of Rabies in Hindi)

रेबीज  नामक रोग का प्रभाव व्यक्ति के मस्तिष्क पर होता है। रोग प्रबल होने से पहले अन्य संक्रामक रोगो के ही सामान व्यक्ति की बुखार होने लगता है। और बेचैनी बढ़ने लगती है। इसके बाद मुख्य रूप से रोगी के गले पर काफी प्रभाव होता है। प्यास ज्यादा लगती है।

लेकिन रोगी किसी भी तरल और ठोस खाद्य सामग्री को निगलने में काफी परेशानी हो जाता है। और पानी से दूर भागता है। रोगी पानी तक नहीं पी सकता और धीरे-धीरे बेचैनी बढ़ने लगती है पानी न पी सकने के कारण शरीर में पानी की कमी हो जाती है। तथा रोगी की मृत्यु हो जाती है। कुछ लोगो का कहना है।

रेबीज के शिकार व्यक्ति पागल हो जाता है। आक्रामक हो जाता है और कुत्ते के सामान भौकने लगता है। ये सब लोगो को भ्रमित करने वाले बाटे है। वास्तव में रेबीज का शिकार व्यक्ति अंत तक अपने चेतना में रहता है। रोगी न तो आक्रामक होता है। और न ही पागल लेकिन वह कुछ असामान्य व्यवहार अवश्य करने लगता है। आवाज में बदलाव केवल गले की मांसपेशियों की निष्क्रियता के कारण होता है।

रेबीज से बचने के उपाय (Ways To Prevent Rabies in Hindi)

यह सत्य है की रेबीज नामक रोग का कोई उपचार सम्भव नहीं है। लेकिन इस रोग से बचा जा सकता है। इस रोग से बचने के लिए दो प्रकार के उपाय किए जा सकते है। पहला उपाय के अंतर्गत इस बात का प्रयास किया जाता है। कि रेबीज नामक रोग सक्रमण ही न हो। इसके लिए कुत्ते को जहां तक सम्भव हो एंटीरेबीज टीके नियमित रूप से लगवाये जाने चाहिए। पालतू कुत्ते के लिए यह सम्भव है।

दूसरा उपाय रेबीजयुक्त कुत्ते काटने के उपरान्त किये जाते है। इस प्रकार के मुख्य उपाए निम्नं है।

  • कुत्ते अथवा अन्य रेबीज के जीवाणु से युक्त पशु के काटने की स्थिति में काटे गए स्थान को तुरन्त साफ करना चाहिए। इसके लिए साबुन,पानी और पोटैशियम परमैगनेट भी इस्तेमाल किया जा सकता है। काबोलिक अम्ल भी घाव पर लगाया जा सकता है। घाव को खुला रखना चाहिए। उस पर पट्टी नहीं बाधनी चाहिए।
  • यही चिकित्स्क की सुविधा उपलब्ध न हो तो काटे गये स्थान पर सरसो का तेल और पीसी हुई लाल मिर्च भी लगायी जा सकती है।
  • काटने वाले कुत्ते के रेबीज युक्त होने की आशंका की सिथ्ती में तुरंत अनिवार्य रूप से रेबीज से बचने का टीका (Anti-rebies vaccine ) लगवाने चाहिए। ये टीके अब बाजार में उपलब्ध है। सरकारी जिला अस्पताल में ये टीके फ्री में लगाये जाते है।
  • रेबीज रोगी को इमली, टमाटर अधिक मसालेदार भोजन दूध, आलू, धनिया, दाल, मांस ये सब नहीं खाना चाहिए।

FAQ

Qus-क्या हर कुत्ते के काटने से रेबीज होता है?

Ans-बिल्ली कुत्ता और बंदरो में रेबीज का लासा वायरस होता है। जो कि लार के जरिए व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाता है। ध्यान देने वाली बात ये है। कोई कोई पालतू कुत्ते रेबीज मुक्त होते है वही बाहरी कुत्ते रेबीज मुक्त नहीं होते है। जिसके काटने पर गंभीर बीमारी हो सकती है।

Qus-कितने दिनों के भीतर रेबीज का टीका लगवाना चाहिए?

Ans-काटने वाले कुत्ते के रेबीज युक्त होने की आशंका की स्थिति में तुरंत अनिवार्य रूप से रेबीज से बचने का टीका (Anti-rebies vaccine ) लगवाने चाहिए। ये टीके अब बाजार में उपलब्ध है। सरकारी जिला अस्पताल में ये टीके फ्री में लगाये जाते है।

Qus-कितने दिन बाद रेबीज फैलता है?

Ans-जब कोई रेबीज युक्त पशु किसी व्यक्ति को काटता है तब उसकी लार में विद्दमान विषाणु व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाते है। शरीर में प्रवेश करने जे उपरान्त ये विषाणु व्यक्ति की स्नायु तंत्रिकाओं  माध्यम से शरीर में फैलने लगते है। रोग विषाणु जब मस्तिष्क में पहुंच जाते है। तब रोग प्रबल रूप धारण कर लेता है। तथा रोग के समस्त लक्षण प्रकट होने लगते है।

Qus-कुत्ते के दांत लगने पर क्या करें?

Ans-कुत्ते अथवा अन्य रेबीज के जीवाणु से युक्त पशु के काटने या दात लगने की स्थिति में काटे गए स्थान को तुरन्त साफ करना चाहिए। इसके लिए साबुन,पानी और पोटैशियम परमैगनेट भी इस्तेमाल किया जा सकता है। काबोलिक अम्ल भी घाव पर लगाया जा सकता है | घाव को खुला रखना चाहिए | उस पर पट्टी नहीं बाधनी चाहिए।

Qus-क्या रेबीज का इलाज संभव है?

Ans-रेबीज या हाइड्रोफोबिया (Rabies or Hydrophobia) नामक रोग एक अति भयंकर एवं घातक रोग है। इस रोग के हो जाने के बाद इसका अभी तक कोई सफल उपचार नहीं है। यदि रोगी पशु के काटने के तुरंत बाद ही एंटीरेबीज इंजेक्शन लगवा लिया जाए तो रोग से बचा जा सकता है। एक बार प्रबल हो जाने के बाद रोगी को बचा पाना प्राय असम्भव है।

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