मलेरिया (Malaria) एक व्यापक रूप से फैलने वाला संक्रामक रोग है। साधारण बोल चाल में इस रोग को मलेरिया बुखार के रूप में जाना जाता है। चिकित्सा सम्बन्धी ज्ञान के भरपूर विकास के उपरान्त भी प्रतिवर्ष हमारे देश में लाखो व्यक्ति इस रोग के शिकार होते है। और हजारो व्यक्ति इस रोग के कारण मर भी जाते है। मलेरिया के फ़ैलाने का काम मच्छर करते है इस रोग को एक परजीवी या पराश्रयी कीटाणु प्लाज्मोडियम (Plasmodium) उत्पन्न करता है। जो मच्छरों में माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करता है। इस बात को ध्यान में रखते हुये मलेरिया से बचने के लिए मच्छरों से बचना अनिवार्य है।
मलेरिया के लक्षण (Symptoms Of Malaria)
मलेरिया नामक रोग का संक्रमण हो जाने के स्थिति में मुख्य रूप से निम्न लक्षण होने लगते है।
- रोग का संक्रमण होने के साथ-साथ व्यक्ति को कपकपी के साथ जाड़ा लगता है जिससे शरीर का तापमान बढ़ने लगता है इस स्थिति में तेज़ बुखार हो जाता है यह बुखार 103F से 105F तक हो सकता है।
- संक्रमण के साथ ही साथ सर में और शरीर के अन्य भागो में तेज़ दर्द होने लगता है।
- मलेरिया संक्रमण की प्रबलता के दशा कभी-कभी रोगी का जी भी मिचलाने लगता है और पित्त के बढ़ जाने से उबकाई या उल्टियां भी होने लगती है।
- जब मलेरिया का बुखार उतरता है उस समय रोगी को पसीना भी आता है।
- यदि रोगी बच्चा में हो तो मलेरिया के कारण कभी-कभी प्लीही (Splean) भी बढ़ जाती है।
मलेरिया का उदभवन काल (Evolution Of Malaria)
मलेरिया के रोग के लक्षण सामान्य रूप से संक्रमित मच्छर के काटने के 9 से 12 दिन उपरान्त प्रकट होते है यानि इस रोग का उदभवन काल 9 से 12 दिन है।
मलेरिया रोग के प्रकार (Types Of Malaria)
सामान्य रूप मलेरिया नामक रोग के निम्न चार प्रकार के पाये जाते है।
- प्रथम प्रकार के मलेरिया की तिजारी कहते है इस प्रकार के मलेरिया में प्रति तीसरे दिन बुखार चढ़ता है।
- दूसरे प्रकार के मलेरिया को चौथिया कहते है इसमें प्रति चौथे बुखार चढ़ता है।
- तीसरे प्रकार के मलेरिया बुखार चढ़ने नियम नहीं होता है। बुखार कभी भी चढ़ सकता है। इसी लिए मलेरिया अधिक भयानक माना जाता है।
- मलेरिया के चौथे प्रकार में मूत्र के साथ हीमोग्लोबिन भी आने लगता है। और मूत्र का रंग काला होने लगता है।
मलेरिया फैलने का कारण (Causes Of Malaria)
यह सत्य है, की मलेरिया के फ़ैलाने में मच्छरों के महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लेकिन मलेरिया का कारण एक विशिष्ट जीवाणु होता है जिसे प्लाज्मोडियम (Plasmodium) कहते है। यह जीवाणु पराश्रयी प्रोटोजोआ श्रेणी का एक कोशिकीय जीव है इसकी कुछ अवस्थाए मादा मच्छर के शरीर में और कुछ मनुष्यो के शरीर में पूर्ण होती है। इस जीवाणु में वृद्धि होती है और विभाजन द्वारा इसको उत्पत्ति होती चली जाती है इस जीवाणु जे जीवन इतिहास का अध्ययन तीन अवस्थाओं में किया जा सकता है।
मनुष्य के यकृत में,मनुष्य के रुधिर में, और मच्छरों के आमाशय में जब ये जीवाणु व्यक्ति के रक्त में पहुंच जाता है तब रोग के लक्षण होने लगते है। संछेप में कहा जा सकता है। की मच्छरों के माध्यम से जब मलेरिया के जीवाणु व्यक्ति के रक्त तक में व्याप्त हो जाते है तब मलेरिया नामक रोग प्रबल हो जाता है।
मलेरिया से बचने के उपाय (Ways To Prevent Malaria)
मलेरिया संक्रमण मच्छरों के माध्यम से होता है मलेरिया से बचने के लिए मच्छरों से बचना अनिवार्य है। इस प्रकार मच्छरों से बचने के लिए या तो मच्छरों को ही समाप्त कर दिया जाए या फिर स्वयं को मच्छरों से बचाकर रखा जा सकता इस उद्देश्य के लिए मुख्य रूप से निम्न उपाय किये जा सकते है।
- मच्छरों को समाप्त करने के लिए मच्छरों की उत्पत्ति वाले स्थानों पर ही आवश्यक उपाय किए जाने चाहिए इसके लिए गंदा पानी एकत्र न होने दे घर में कूलर,पानी की टंकी आदि में अधिक दिन तक पानी रुका न रहे गली या नालियों और अन्य ठहरे हुये पानी मच्छर मरने के तेल का छिड़काव करना चाहिए घरो में समय -समय पर डी.डी.टी का छिड़काव होना चाहिए और घर के आस पास हर प्रकार की सफाई रखना चाहिए।
- मच्छरों से बचने के लिए रात को सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए इसके अतिरिक्त मच्छर भागने वाली किसी क्रीम या आयल को भी शरीर पर मला जा सकता है। कमरे में मच्छर भागने वाली अगरबत्ती भी जलाई जा सकती है। अब अनेक प्रकार के टिकिया भी बनाई जा रही है जो ताप पाकर कुछ ऐसी गंध निर्मित करती है जिससे मच्छर भाग जाते है गर्मी के मौसम में तेज़ पंखा चलाकर भी मच्छरों को भगाया जा सकता है कुछ घरो में नीम की सुखी पत्तियों को सुलगा कर उसके धुँए से भी मच्छरों को भगाया जाता है।
मलेरिया के उपचार (Treatment Of Malaria)
मलेरिया के बुखार का सन्देह होते ही खून की जाँच करवानी चाहिए मलेरिया का संक्रमण निश्चित हो जाने पर चिकित्सक से उपचार करवाना चाहिए अब मलेरिया की उपचार उत्तम औषधिया उपलब्ध है, रोगी को पूरी तरह से आराम करना चाहिए रोग को जल्द से जल्द ठीक किया जा सकता है। रोगी को हल्का और सुपाच्य आहार दिया जाना चाहिए।
- चाय के साथ तुलसी के पत्ते और काली मिर्च दालचीनी और अदरक डाल कर पिए।
- फलो में अमरुद पपीता चीकू सेब आदि का सेवन करे।
- खिचड़ी दलीय साबुदाना दाल चावल का सेवन करे यह पचने में आसानी होती है और पौष्टिक होते है।
- अंकुरित बीज और रसीले फलो के साथ-साथ अनाज और सब्जिया खानी चाहिए।
- मलेरिया के रोगी को ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थो का सेवन करना चाहिए।
नीम के पत्ते (Leaves Of The Neem Tree)
4-5 नीम के पत्ते और चार काली मिर्च लेकर एक साथ पीस ले फिर इसे थोड़े से पानी में मिलाकर उबाल ले गुनगुना होने पर छान ले उसके बाद रोगी को पिलाए।
गिलोय (Giloy)
40 ग्राम गिलोय को कुचलकर मिटटी के बर्तन में पानी मिलाकर रात भर ढक कर छोड़ दे सुबह इसे मसलकर छानकर मलेरिया रोगी को दिन में तीन बार पिलाए।
तुलसी के पत्ते (Basil Leaves)
तुलसी के पत्ते और 7 से 8 काली मिर्च के दाने लेकर पानी में पीस ले और इसमें थोड़ा शहद मिला कर मलेरिया रोगी को सुबह शाम देने से बुखार में आराम मिलता है।
अन्य बातें (Other Things)
सुबह एक गिलास गुनगुने पानी के साथ आधा नीबू और एक चम्मच शहद मिलाकर पिलाए इससे मलेरिया में काफी फायदेमंद है। रोगी को नास्ते के टाइम ताजा फल एक गिलास दूध में शहद मिलाकर पिलाए दिन के भोजन में एक कटोरी उबली हुई सब्जिया छाछ गेहूं आदि का सेवन करे रात के भोजन में एक पलेट सलाद और उबली हुवा दाल दे।
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